ख़ूबसूरत
ख़ूबसूरत
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फोन चालू है किताबों का फ़साना हो गया
यार कैसा देखिए अब ये जमाना हो गया
कल तलक जिसके लिए मैं अजनबी था यहां
रोज़ मिलनें का उसी से अब बहाना हो गया
रह गया हूँ मैं अकेला गांव में अब तो यहां
बेवफ़ा वो अब दिल से ही दोस्ताना हो गया
नफ़रतों की राहों में मेरे खड़ी है दीवारें
दूर मुझसे प्यार का वो आशियाना हो गया
जिक्र कोई कर गया है अंजुमन में उसका ही
ज़ख्म दिल का ही हरा मेरे पुराना हो गया
हर तरफ़ ही हर गली में वरना पहरे थे लगे
आज मिलनें का उसी से ही बहाना हो गया
अब रहा जाता नहीं "आज़म" बिना उसके तन्हा
दिल किसी से ऐसा मेरा आशिक़ाना हो गया.
