STORYMIRROR

aazam nayyar

Others

4  

aazam nayyar

Others

ख़ूबसूरत

ख़ूबसूरत

1 min
515


फोन चालू है किताबों का फ़साना हो गया

यार कैसा देखिए अब ये जमाना हो गया


कल तलक जिसके लिए मैं अजनबी था यहां 

रोज़ मिलनें का उसी से अब बहाना हो गया


रह गया हूँ मैं अकेला गांव में अब तो यहां 

बेवफ़ा वो अब दिल से ही दोस्ताना हो गया


नफ़रतों की राहों में मेरे खड़ी है दीवारें 

दूर मुझसे प्यार का वो आशियाना हो गया 


जिक्र कोई कर गया है अंजुमन में उसका ही 

ज़ख्म दिल का ही हरा मेरे पुराना हो गया 


हर तरफ़ ही हर गली में वरना पहरे थे लगे 

आज मिलनें का उसी से ही बहाना हो गया 


अब रहा जाता नहीं "आज़म" बिना उसके तन्हा 

दिल किसी से ऐसा मेरा आशिक़ाना हो गया.


Rate this content
Log in