ख़त
ख़त
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उस रात ख़त आया था मेरा
पर उसमे था जिक्र तेरा
पता नहीं उस रात को
मुझ से क्या दुश्मनी थी
मुझे तुझ से अलग करने
की साज़िश वो कर रही थी
लिखा था उस ख़त में तुम
ना अब कभी लौटोगे
मेरे सर पर तुम अब यूं
ना कभी हाथ फेरोगे
तुम हो गए थे भारत माँ
के लिये शहीद
आज मैं तुम्हें कहता हूँ
जय हिंद
