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Rani Kumari

Others

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Rani Kumari

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खामोशियाँ और यादें

खामोशियाँ और यादें

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खामोशियाँ जब

रुबरू होती है

यादों से तो

उलझ पड़ती है

एक दूजे से।


उठता है एक शोर

मचता है हलचल

दिल-दिमाग

नस-नस पोर-पोर

होता है

झंकृत।


यादें खरोंचती है

वर्षों से सोये

जख्म़ को

और

खामोशियों को

चीरते हुए

चीख उठती है

रूह मेरी

आह!

अब और नहीं......।



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