कच्चे मकान वाले
कच्चे मकान वाले


ऊँची इमारत वालों कच्चे
मकानों को यूं ना देखो
देखकर कच्चे मकानों की
ख़स्ता हालत
तुम यूं मुंह ना फेरो
ना भूलो इन कच्चे मकान
के बाशिंदों ने
जब अपना स्वेद बहाया है
तब जाकर इन ऊँची इमारतों में
तुम्हारा परिवार बस पाया है
इनकी मेहनत और शरीर
तोड़ मजदूरी से ही
ऐसे सपने पूरे होते हैं
वरना तुम्हारे पास तो सिर्फ़
कागज़ पर बने नक्शे ही होते हैं
तुम्हारी क्या हस्ती
ऊँची इमारत को हक़ीकत में
खड़ा कर पाने की
ईंट पत्थर सर पर उठाने की
वातानुकूलित कमरों में बैठ
नक्शा बनाना
और उसे असली इमारत में
ढाल खड़ा कर पाना
बहुत फर्क होता है
यदि यह कच्चे मकान वाले
ना होते
तो तुम भी शायद ऐसे ही
किसी कच्चे
मकान में रह रहे होते
और ऊँची इमारत के सपने
बुन रहे होते
कैसे इन सपनों को साकार करें
इसी उधेड़ बुन में खोये रहते
दुनिया में जिसके पास तेज़
दिमाग है
शायद उतनी मेहनत करने
की क्षमता नहीं
और जिसके शरीर में भरपूर
मेहनत है
शायद इतना तेज़ दिमाग नहीं
और इसीलिए जब यह दोनों
आपस में मिलते हैं
तभी ताजमहल जैसे अजूबे
दुनिया में बनते हैं