कभी कभी
कभी कभी
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तिनका भी कभी कभी शेर बन जाता है।
वक्त की बात है वो भी दिलेर बन जाता है।
मत उड़ा तू कभी भी मज़ाक किसी का
कभी कभी कुत्ता भी शेर बन जाता है।
हम मानते हैं जिसे एक कमज़ोर शख्स,
वो शख्स भी कभी कभी ख़ुदा बन जाता है।
हे विजय अहंकार तू कभी भी मत करना,
कभी शीशा का एक छोटा सा टुकड़ा भी
पूरे का पूरा बड़ा दर्पण बन जाता है।
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