**कौवा और कोयल**
**कौवा और कोयल**
**कौवा और कोयल**
कौवा बोला,कोकिले
मैं काला तूं काली
तूं सबहूं की लाडली
मुझे मिलत है गाली।
कागा,बोली कोकिला
तूं काला मैं काली
तूं चालाक चतुर-सुजाना
मैं हूं भोली-भाली।
कौवा बोला,कोकिले
मैं काला तूं काली
तूं गुलिसतां कूकती
बैठत डाली-डाली
ताली मारे मुझे भगाए
हैत-हैत कर माली।
कागा,बोली कोकिला
तूं काला मैं काली
तेरी वाणी कर्कशी
मैं लागूं मठियाली।
कौवा बोला,कोकिले
मैं काला तूं काली
काला रंग जन्म मैं पाया
तूं कित कारण काली।
कागा,बोली कोकिला
तूं काला मैं काली,
तुझे जलाया ईर्षा
मैं प्रीतम बिरह जाली।
कौवा बोला,कोकिले
मैं काला तूं काली
कौन रे तेरा बेली-वारिस
कौन करे रखवाली ?
कागा,बोली कोकिला
तूं काला मैं काली
प्रीतम मेरा बेली-वारिस
कुदरत रे रखवाली।
कौवा बोला,कोकिले
तूं काली मैं काला
मैं औगुण को गुण नाहीं
तउ विध हूं मैं काला।
कागा,बोली कोकिला
मैं काली तूं काला
तेरा घोंसला बच्चे मेरे
तूं उनका रखवाला।
कौवा-कोयल बोले दोनों
देकर सही हवाला
बहस-बसाही से न कोउ
हल निकलने वाला।
दोऊ रंग उस मालिक दीन्हें
का गोरा का काला
काला रंग क्यूं दीन्हां हमको
जानत देने वाला।
नोट: प्रीतम, मालिक,देने वाला =भगवान
--एस.दयाल सिंह--