कैसे हो जाते हैं !
कैसे हो जाते हैं !
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कैसे हो जाते हैं,लोग ऐसे ।
अंदर कुछ और, बाहर कुछ ऐसे ।।
हंसते हैं बातों पर, या मुझ पर ।
अंदर कुछ और, बाहर कुछ ऐसे ।।
बात यूं करते हैं, जैसे मेरे अज़ीज़ ।
जताते, जैसे बनकर आए नसीब ।।
अंदर कुछ और..........
क्या मिलता बातों से पर, करते हैं ।
मेरे मन में दीमक बन रहते हैं ।।
अंदर कुछ और.........
बचना चाहा, पर आदत से मजबूर ।
मुज़रिम बना दिया, था बेकसूर ।।
अंदर कुछ और..........
ऐसे लोगों से बचके रहना वैसे ।
हो चाहे जैसे, समझो इनको ऐसे ।।
अंदर कुछ और, बाहर कुछ ऐसे ।।
