काश वो समझ पाते
काश वो समझ पाते

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आँखे पथरा जाती है
तेरा इंतज़ार करते करते
वो कहते है हमसे कि
इतने बेदर्द हम क्यों हो गए है
वो नही समझ पाएंगे हमारी मजबूरी
इसलिए उनके सवाल सुनकर
मुस्कुरा देते है हम
काश वो समझ सकते कि और
भी ग़म है
जमाने में मोहब्बत के सिवा
हमको भी निभाने है फ़र्ज़ अपने
हमको भी जीनी है अपनी जिंदगी