काश होती तुम पास
काश होती तुम पास
काश होती तुम पास
तो कितने पास होते मेरे
ये धरती और आकाश
ये मौसम होता कितना रंगीन
ये वायु होती कितनी खुशमिजाज ।
काश होती तुम पास
तो फूलों की बढ़ जाती रौनक
और प्यारा लगता रिमझिम बरसात
तितलियों की बढ़ जाती चंचलता
और कोमल लगते कैक्टस के गात।
काश होती तुम पास
कहीं चल रहे होते दूर
झाड़ियों से घिरे जंगलों के पास
आँखों में घुमते सपने
उसे करने को हकीकत
उठते सुप्रभात ।
काश होती तुम पास
तो जिंदगी जीने का,
एक अलग होता अंदाज
तुम्हारे स्पर्श का एहसास
जैसे पहने होते कोई सरताज ।
पर न तुम हो पास
न मौसम है नाराज
आलम है खुशमिजाज
चेहरा है मेरा बिल्कुल खुश
परन्तु है हम उदास ।।