कानपुर की सैर
कानपुर की सैर
सुबह सबेरे बच्चों के संग ,
हम सबआए बस के पास ।
बैठ गए मिल सब ही जन ,
मन में सबके परम हुलास ।।
जाना था हम सबको ,
करने नगर कानपुर सैर ।
बैठ गए बस चली सभी,
ने फिर फैलाए पैर ।।
नगर ग्राम सब छोङ,
बढ रही अपनी गाड़ी ।
आ विठूर गंगा मे सबने ,
प्रमुदित डुबकी मारी ।।
खूंटी ब्रम्हा बाल्मीकि ,
आश्रम आ शीश नवाया ।
नाना के बिठूर पैलेस मे ,
बैठ के खाना खाया ।।
ऐतिहासिक संग्रहालय देखा ,
देखा उनका भग्न ठिकाना ।
यही मनू का बचपन बीता ,
बाल सखा थे नाना ।।
फिर मिलकर सब आए,
जू मे वातावरण सुहाना ।
खग पशु दिव्य अलौकिक,
देखे नही खुशी का ठिकाना ।।
रंग विरंगी तितली देखी ,
देखी छोटी सी गाड़ी ।
फिर आए ईस्कान कृष्ण ,
मंदिर में रोकी गाड़ी ।।
माथ नवाया कृष्ण चन्द्र को,
जिनके संग राधा रानी ।
जिनकी कृपा प्राप्त कर ,
प्रमुदित हो जाए हर प्राणी ।।
मग में देख शुधांसु आश्रम ,
उतर गए हम सब साथी ।
शिव के दिव्य दरश कर सबने,
देखे पत्थर के सुन्दर हाथी ।।
देव गुफा में जाकर सबने ,
देवों को है शीश झुकाया ।
हुई शाम चल पड़े घरों को ,
यात्रा का सुख पाया ।।