कांगड़ा चाय का जायका।
कांगड़ा चाय का जायका।
चाय है ऐसी नियामत,
करती पूरे शरीर पे करामात,
जैसे ही दो घूंट अन्दर,
चेहरे पे आती मुस्कराहट,
जिंदगी होती तरोताजा।
ऐसी ही है कांगड़ा चाय,
ले सकते इसका नाम,
दार्जिलिंग टी के बाद।
यहां पानी की है अधिक मात्रा,
अंग्रेजों को लगा ये वातावरण उपयोगी,
उन्होंने अठारहवीं शताब्दी में शुरू करदी,
चाय की खेती।
पहले पहल बनने लगी ग्रीन टी,
बागानों से थोड़ी जाती हरी पत्तियां,
फैक्ट्री में लाई जाती,
और ग्रीन टी तैयार होती।
इसका स्वाद और सुगंध है अलग,
इसका है दवाई जैसा असर,
इसलिए है अनोखी पहचान,
कांगड़ा टी है लाजबाव,
परंतु ठीक प्रचार न पाने से,
ठीक मुल्य नहीं मिला,
और उत्पादन घटा।
फिर लोगों ने किया ब्लैक टी का रूख,
मार्केट में चलती थी खूब,
अब ब्लैक और ग्रीन दोनों का होता उत्पादन,
ठीक से नहीं मिलता प्रचार,
इसलिए कांगड़ा टी खाती मार।
अगर कांगड़ा टी को मिले प्रोत्साहन,
तो ये भी बन सकती,
दुनिया में सर्वश्रेष्ठ चाय
और लोगों की आय,
ले जा सकती कई गुना आगे।
