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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Others

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Others

" ज्वलंत विषय "

" ज्वलंत विषय "

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ज्वलंत विषय ही हमारी

प्रेरणा बनती है

कितने ही हम

उनसे मुंह मोड़ लें

पर उनके हथौड़ों

की चोट से हम

तिलमिलाने लगते हैं !

दूसरे विषयों पर

नजरें नहीं टिकती हैं ,

प्रयत्न भी अधूरा

हो जाता है !

हम लौटकर फिर

ज्वलंत विषयों के

साये में विचारने को

मजबूर हो जाते हैं ,

हम भला क्यों भूल

जाएँ "अश्वमेघ यज्ञ "के

"अश्व" को कोई

रोक लेता है ,

विजय का शंखनाद

जब गूंजने से डरता है !

यौध्याओं जो अपने

बाजुओं को मलते थे ,

झूठी दिलासा लोगों

को देते थे !!

सब तंत्र को सदा

अपने पास रखते थे ,

पर सब ने उनको

जान लिया ,

उनकी भावनाओं

को पहचान गया !

सब तंत्रों पर

"जनतंत्र "भारी पड़ा ,

और स्वयं वीर कहते थे

शिखंडी बनना पड़ा !!

भला अब कहें

इन विषय को छोड़

हम और विषयों

को छुएं कैसे ?

लाख मनाया

अपनों को

कुछ और लिखें

पर निगाहें और मष्तिष्क

ने हमें घसीटकर

ला खड़ा किया ,

और हमको कानों में

कह दिया --

"सब तंत्रों से भी

बढ़कर है "जनतंत्र "

यह सबित हो गया !!"




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