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S.Dayal Singh

Others

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S.Dayal Singh

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ज़रीब

ज़रीब

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**ज़रीब** 

कभी कभी हो ही जाता,यूँ हादसा अज़ीब सा,

मेरे संग रूठ जाता, मेरा अपना  नसीब सा |

दूर जिसे घेर लिया, है आंधी औ' तूफ़ान नें ,

वो कोई बिरछ नहीं, है वो आदमी ग़रीब सा  |

सुबह से जो शाम तक, उठाके लाश फिरता है   ,

वो तो कोई कंधा नहीं, है लगता सलीब सा |

जल्दी से जितनी, अंधेरी रात बीत जाए,

सुबह का उज़ाला होता, है उतना करीब सा  |

हदबंदी कर लोग,  भूमि को तो नापते हैं ,

नापे जो दिलों की दूरी, है कहाँ वो ज़रीब सा  ?

--एस.दयाल सिंह--

 


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