ज्ञान की देवी
ज्ञान की देवी
ज्ञान दायिनी,वीणा वादिनी,अब कर दो जग में उद्धार,
तेरी महिमा गाता रहूं सदा,इतना मुझको मां दो प्यार।
अमित ज्ञान की दायिनी, कहलाती तुम सरस्वती मां,
पल पल जन का साथ दे,बसती हो इस पूरे जीव जहॉँ।
अमित ज्ञान.................
सुबह सवेरे पूजा करे जब, देती मां दर्शन अमित रूप,
उसका बस आशीर्वाद पा, अज्ञानता की लगे ना धूप।
तूने उतारे हैं जगत से पार,ऐसी है मां हो करुणामई,
विद्या रूप में देती हो साथ,देश विदेश में जाओ कहीं।
अमित ज्ञान.................।
दो हाथ जोड़ विनती करू,देना माता तुम बस सहारा,
लेेखनी जग में चले यूं ही, बिगड़े नहीं काम हमारा।
करो अर्चना मां सरस्वती, आया शुभ बसंत पंचमी,
हाथ जोड़कर करे प्रणाम, कृपा की बनी रहे बंदगी।
अमित ज्ञान...............।
मां का मिला आशीर्वाद, बनते हैं सारे बिगड़े काज,
तेरी कृपा जिस पर रही, उसने ही किया जग राज।
विद्या फल दे, देना ज्ञान,कभी करे नहीं अभिमान,
जहां जाए मिले सम्मान, देना सद्बुद्धि का वरदान।
अमित ज्ञान...............।
अज्ञानी कितने उतारे पार, विद्वानों में हुई नहीं हार,
हाथ जोड़कर करे प्रणाम,मिलता रहे जहां का प्यार।
कवि करते आये कल्पना,कहलाती जग ऋतुएं चार,
सबसे श्रेष्ठ मन खुशी भरे,कहलाती है बसंत बहार।
अमित ज्ञान...............।
खेतों में जब बहार आई, फूल खिले उपवन हजार,
भ्रमर कलियों ढूंढते फिरे, बस उनको फूलों से प्यार।
हल्की ठंड भी पड़ रही,लो तरुवर कर रहे है पुकार ,
मन भी प्रसन्न हो जाएगा,देखके शुद्ध जल की धार।
अमित ज्ञान...............।
मां सरस्वती की हो पूजा,विद्या की देवी वो कहाए,
खुशी का पर्व सुहाना हो, लो अंबर में पतंग उड़ाए।
ज्ञान की देवी जगत में,नाम रटते हैं सुबह व शाम,
तेरे दर्शन से पूरी पूजा,तुम ही हो सच्चा जग धाम
अमित ज्ञान...............।
