जंगल में चुनाव
जंगल में चुनाव


जंगल में छा गया तनाव,
आ खड़े हो गए चुनाव,
दे रहा था, मत, कोई कुछ
कोई दे रहा कुछ सुझाव,
हाथी, चीता, शेर, सियार,
समझें खुद को दावेदार,
राजा का पद पाने को
खड़े हुए कई उम्मीदवार,
बढ-चढ़ कर हुई तैयारी,
सभी ले रहे हिस्सेदारी,
छोटा मोटा काम नहीं यह,
बड़ी बहुत थी जिम्मेदारी,
जंगल में हो गई मुनादी,
राजा ने है सभा बुला दी,
ढोल पीट के सभी जनों को
जुड़ने की तारीख बता दी,
छोटे बड़े सभी जानवर,
बढ़े इसे कर्तव्य मानकर,
जंगल की भलाई खातिर
चल पड़े सीना तानकर,
जुड़ गई इक दिन पंचायत,
मिली उसमें सबको हिदायत,
मन की बातें कहने सुनने की
मिल गई सबको रिवायत,
आए थे सब करके तैयारी,
नहीं किसी ने हिम्मत हारी,
सबने सोचा राजा बनने कि
है इस बार हमारी बारी,
आ पहुँचे सभा में राजा शेर,
जय हो की लग रही थी टेर,
देख के राजा शेर सिंह को
हिम्मत सबकी हो गई ढ़ेर ,
बैठा वो सिहांसन पर आकर,
मूंछों को थोड़ा ताव दिखाकर,
थर्र-थर्र करके लगे काँपने
शेर सिंह से सब घबराकर,
बोला राजा कदम बढ़ाओ,
दावेदार सब सामने आओ,
बन सकता है राजा कौन,
एक-एक कर हुनर दिखाओ,
नहीं बची किसी में हिम्मत,
छोटी पड़ गई सबकी ताकत,
सिंहासन हासिल करने की
टूट चुकी थी सबकी हसरत,
आई सबकी फिर आवाज,
रहोगे तुम्हीं हमारे सरताज,
जब तक हैं दुनिया में जंगल
करते रहोगे तुम ही राज।