जन-गण-मन
जन-गण-मन
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हम जन-गण-मन नित गाते है।
जरा सोचिये...?
हम भारत के जन-गण-मन में,
कितना उतर पाते है।
हम जन-गण-मन नित गाते है।
मानव देव पुत्र मनु की,
कितनी स्मृतियां।
नित स्मरण में लाते है।
मैकाले के बंदरबाद को,
नित आंख मीच दोहराते है।
हम जन-गण-मन नित गाते है।
अपने राष्ट्र का मान करों।
अपनी अलग पहचान धरों।।
किस लिए,
विभाजित हुए जातें हो।
सम्पूर्ण विश्व में,
उज्ज्वल देव संस्कृति।
हम संस्कार,
क्यों...?
भूल जाते है।
जब कि हम,
जन-गण-मन नित गाते है।
