ज़माना
ज़माना
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देखा देखी का है जमाना
सबको दूजे से आगे बढ़ जाना
एक दूजे को देखकर ईर्ष्या से भर जाना
बराबरी के चक्कर में मन की शांति को बिसराना
महंगे घर, गाड़ी में उधार के बोझ तले दब जाना
अस्सी की आमद चौरासी खर्च की आदत से बच न पाया जो
जीवन उसका बर्बाद हुआ संभल न पाया जो।
