जिंदगी
जिंदगी
जाने हमको क्या क्या दिखलाती रही जिंदगी।
हर दिन हमें नया हर दिन
हमें नया सबक़ सिखलाती रही जिंदगी।
कौन कैसा है और क्या क्या है!
हाथ में डुगडुगी नाच बंदर का है
खेल ऐसे बतलाती गयी जिंदगी
जाने हमको क्या क्या दिखलाती रही जिंदगी।
हर मोड़ के, बाद मिला, एक नया मोड़ हमें,
मंज़िलें दूर सही मंज़िलें दूर सही
राह बतलाती गयी जिंदगी।
जाने हमको क्या क्या दिखलाती रही जिंदगी।
तूने सब कुछ दिया है मुझको
फिर भी कुछ खलिश सी है दिल में,
ये तड़प जगाती रही जिंदगी।
जाने हमको क्या क्या दिखलाती रही जिंदगी।
कौन कितने है गहरे पानी में
जब बैठी ये जाके पनडुब्बी में,
तब हकी़कतों की परत खुलवा ती रही जिंदगी।
जाने हमको क्या क्या दिखलाती रही जिंदगी।
अच्छा कौन बुरा कौन इस जमाने में,
आखिरी ये सबक हमको सिखलाती गयी जिंदगी।
जाने हमको क्या क्या दिखलाती रही जिंदगी।