जिंदगी के हालचाल
जिंदगी के हालचाल
रह चलते यूँ ही कोई मिले,
और पूछे "क्या हाल है?"
कहते थे, उनका रहम है,
लहरों सी मौज है..!!
असल मेंं बस प्यासी आँखों को
सिर्फ उनकी ही खोज है।
आँखों के भीतर पानी की आनी-जानी,
नमी ज़रा भी न काम आंकी जाती है,
किनारे करते रहे हिसाब, मजबूर
समंदर से परवाह की न जाती है।
मेंरा आसमान-ए-दिल भी अजीब है,
हर सुबह, स्वर्णिम उदय से पहले
ये देखता घनघोर अस्त है,
फिर भी कहे कुशल है, क्षेम है...!!
दिल के एक-एक टुकड़ों मेंं
आँसू का तेल, यादों की बाती लगते है,
प्रेमज्योति जला के, तर्पण हेतु
बारी-बारी जीवनगंगा मेंं बहते है।
अब राहों में कोई मिले न मिले,
और पूछे न पूछे - "क्या हाल है?"
परवाह नहीं, चहकता चेतन अब मौन है,
बुझी निगाहो को सिर्फ उनकी ही खोज है,
बाकि सब, कुशल है, क्षेम है...!!!