जीवनदायिनी गंगा
जीवनदायिनी गंगा
देवी समान पूजनीय माता
हर कोई तेरी शरण में आता
पाप नाशिनी है पतित पाविनी
दीन जनों की जीवनदायिनी।
कहीं ब्राह्मण पूजा पाठ करते
कहीं तट पर साधु जाप करते
कोई अपना व्यवसाय करें
तो सावन में नमो शिवाय करें।
जलधारा तेरी शुद्ध शीतल है
बहाव तेरा शांत अविचल है
मुझे हिमनदों से गिरती तू है
गंगोत्री से भी बिछड़ती तू है।
संगम तेरा देवप्रयाग में
कमलासन में तेरा वास
बसंत ऋतु और पुण्य माघ में
जन-जन करे पूजा उपवास।
कोई जाता ज्ञान दीप जलाने
तो कोई बसाए प्रेम वहां
बोल मीठे बन गई तेरी लहरें
नानक कबीर बस गए जहां।
