झगड़े को न देते तूल
झगड़े को न देते तूल
1 min
273
भारी बस्ता कड़क थे रूल
ऐसा था मेरा स्कूल
छुट्टी में भी खूब पढ़ाई
नहीं पढ़े तो पड़ी पिटाई
माफ़ नहीं थी कोई भी भूल
ऐसा था...
नई क्लास और नया था बस्ता
उबड़ खाबड़ इसका रास्ता
चलते थे उड़ती थी धूल
ऐसा था...
प्रेम भाव और भाईचारा
इसके आगे दुश्मन हारा
झगड़े को न देते तूल
ऐसा था...
याद बहुत आते है वो दिन
रह न पाते हम उनके बिन
खेल थे कितने ऊल जलुल
ऐसा था...
रोज़ नया ये सबक सिखाता
सबकी ये किस्मत चमकाता
मुश्किल इसको जाना भूल
ऐसा था...
