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Jaiprakash Agrawal

Others

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Jaiprakash Agrawal

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जबान सम्हाल के्

जबान सम्हाल के्

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जबान एक धारदार चाकू है,

किसी को दर्द पहुंचाने के लिए नहींं

बल्कि किसी का दर्द मिटाने के लिए।

घाव को कुरेदने के लिए नहीं

बल्कि घाव हटाने के लिए।

जबान चलती है जब दोनो तरफ से

सीधे दिल पर वार करती है

दिल के घाव जल्दी भरते नहीं।

इसलिए जबान जरा सम्हाल कर चलाइए

कहीं फिसल न जाए।

कमान से निकला तीर

और जबान से निकले शब्द वापस नहीं आते,

न मिटने बाले निशान छोड़ जाते हैं।

चलिए, कुछ मीठा हो जाए

कुछ मीठा बोल कर,

यह सौदा बहुत सस्ता है।

सुनिए, जिंदगी जंग का नाम नहीं

सुलह का नाम है,

जबान सुलह के लिए चलाइए

यही जिंदगी का फरमान है।


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