जादुई खिलोना
जादुई खिलोना
कभी सोचा था,
हर वक्त रहेंगे संपर्क में,
एक छोटा सा यंत्र होगा हाथ में,
दुनिया के किसी भी कोने में कर पाएंगे बात,
हर समस्या का समाधान,
होगा आपके हाथ।
जी मोबाइल की बात,
मार्टिन कूपर ने किया था अविष्कार,
मोटोरोला के साथ,
पहला मोबाइल था,
भार में एक किलो,
चार्जिंग में लगते थे 10 घंटें,
कीमत थी दो लाख।
फिर हुए सुधार,
बन गया,
आज का मोबाइल।
कूपर को मिला था,
इसके लिए मारकोनी पुरस्कार,
मैं तो हैरान,
क्यों नहीं मिला नोबेल,
मोबाइल लाया है एक तरह की क्रांति,
किसी न होगी सोची जानी,
बस एक स्मार्ट फोन ले आओ,
जो मर्जी निपटा डालो।
