इश्क़
इश्क़
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सारे सरहदें तोड़ आई है।
इश्क़ में अपना घर छोड़ आई है।।
ये उम्र सावन की घटा है।
फूलों के साथ बहार आई है।।
इश्क़ में सभी बदनाम है।
इश्क़ को पाने घर की दहलीज़ तोड़ आई है।।
यक़ीन मानिए ,दिल का मामला है।
बड़ी मुश्कि़ल से घर छोड़ आई है।।
बदनुमा दाग़ फैला है, सफ़ेद कैनवास पर।
हिस्से में गुलाब के साथ काटें आए है।।
