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Prangya Panda

Children Stories

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इर्ष्या

इर्ष्या

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इर्ष्या की भावना को कभी खुद में जगने नहीं दिया, 

कभी इस भावना तक अपने आप को पहुँचने ना दिया। 

पर बचपन में कुछ प्यारी प्यारी गलतियाँ याद आती हैं, 

कैसे अपने किसी दोस्त को किसी और के साथ देखकर थोड़ा जल जाते थे।,

हँसी आती है उन यादों को ताज़ा करते हुए मुझे, 

यह इर्ष्या नहीं पर यह बचपना का जादू है। 

कभी इर्ष्या की भावना खुद में ना भरना, 

सच बोलने से यारों तुम कभी नहीं डरना। 



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