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Neerja Sharma

Others

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Neerja Sharma

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इंतज़ार

इंतज़ार

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कमरे में

अजीब पीड़ा

काटती खामोशी

चीरता हुआ सन्नाटा।


हर चीज

कुछ बयाँ करे

अपनी दासताँ कहे

दर्द बिना टीस लिए ।


बेतरतीबी

बंद खिड़कियाँ

बिखरे हुए कागज

यहाँ वहाँ पड़े बिस्तर ।


खामोशी

करे पुकार

चीखती हर बार

सूना क्यों घर द्वार ?


नज़र

किसकी लगी 

उजड़ा जो चमन

बिखर गया आशियाना।


ये कमरा अब

करता है इंतज़ार

किसी के आने का

सूनी बगिया महकाने का।


इंतज़ार

कब होगा खत्म

होगी चहल पहल

इस सूने पड़े कमरे में।


हर चीज़

अपनी जगह

तरतीब से सजेगी

और रौनक फिर बढ़ेगी ।


इंतज़ार

बस इंतजार

केवल इंतज़ार

आखिर कब तक ?


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