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Kavita Sharrma

Others

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Kavita Sharrma

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ईश्वर

ईश्वर

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ढूंढ रहे हो तुम मुझे कहां कहां

दिल से देखोगे तो मैं मिलूंगा वहां

मंदिर, मस्जिद तुम मुझे खोजते रहे

व्रत उपवास यज्ञ जप करते रहे

पर मेरे ही नाम फिर लड़ते रहे

कभी किसी के आंसू पहुंचो कभी

भूखे को इक रोटी दो तुम कभी

मिल जाऊंगा उनकी मुस्कान में तुम्हें तभी

यहीं कहीं हूं मैं मन में झांको तो कभी।


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