।।हरियाली।।
।।हरियाली।।
हरियाली की छवि निराली,
मन भावन सबको लगती है।
हरियाली है श्रृंगार धरा का,
धरा सजी सॅ॑वरी सी लगती है।
हरियाली लेे आती खुशियाॅ॑,
पंख पखेरू चहचहाते हैं।
मन मोहित करती हरियाली,
नृत्य मोर खूब करते हैं।
नई दुल्हन सी धरती सजती,
श्रृंगार धरा खूब करती है।
कितनी सुंदर लगती धरती,
जब फूलों से सजती है।
पेड़ों के नव पल्लवित पत्ते,
मुस्काते से सुंदर लगते हैं।
जब आते मंद पवन के झोंके,
तब इठलाते हवा से लगते हैं।
हरियाली जब जब आती है,
हवा स्वच्छ सब करती है।
फूल खिला करके धरती पर,
फिजा सुगंधित करती है।
यदि हरियाली होगी धरती पर,
खुशहाल सभी का जीवन होगा।
बादल दुख के हट जाएंगे,
खुशियों से भरा तन मन होगा।
