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Dhan Pati Singh Kushwaha

Others

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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हर शिशु मांगे प्यार

हर शिशु मांगे प्यार

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इक जोड़ी नन्हें क़दमों को क्षमता देने,

जब दो जोड़ हस्त प्यार से मिल जाएंगे।

निज प्यार शक्ति को संचित करके,

रवि तेज पुंज कुल दीपक अपना बनाएंगे।


उर्वर भूमि में हो पुष्पित -पल्लवित पादप,

त्याग-तपस्या संग सजग रहें दोनों ही माली।

हर भारतीय हरे-भरे तरु सम सुविकसित होगा,

हरी-भरी वाटिका सी होगी पूरे भारत में खुशहाली।


ज्यों चांदनी रात बनाने को,

बस एक चाँद भी काफी है,

एक -दो शिशु ही हों आंगन में,

इससे ज्यादा से तो बस माफ़ी है।


अति जनसंख्या ही तो भारत की,

विविध समस्याओं का कारण है,

पूरा विकास बस एक सपना है,

समस्या का होता नहीं निवारण है।


क्षमता से अधिक जिम्मेदारी,

कब तक कोई भी कैसे निभा पाएगा?

सीमित अपर्याप्त संसाधन से,

हर कोई अल्पविकसित ही रह जाएगा।


गंभीर नियोजन चिन्तन करके दो माली,

निज आंगन में एक सुंदर पुष्प खिलाएंगे।

पूरी क्षमता संग करके उसकी देखभाल,

भारत माता को समृद्ध -खुशहाल बनाएंगे।


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