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Sundar lal Dadsena madhur

Others

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Sundar lal Dadsena madhur

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होली

होली

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हर इंसान अपने रंग में रंगा हो तो समझ लेना होली है।

हर रंग कुछ कहता ही है हर रिश्ते में हंसी ठिठोली है।

जीवन रंग महकाती आनंद उल्लास से।

जीवन महक उठता है एक दूसरे के विश्वास से।

प्रकृति की हरियाली मधुमास की राग है।

नव कोपलों से लगता कोई लिया वैराग है।

हर गले शिकवे को मिटा दो फैलाओ ये प्रेम रूपी झोली है।

हर इंसान अपने रंग में रंगा हो तो समझ लेना होली है।


आग से राग तक राग से वैराग्य तक।

चलता रहे यूँ ही परम्परा ये फ़ाग तक।

होलिका दहन की आस्था युगों युगों से चली आ रही ।

आग में चलना राग में गाना प्रेम की गंगा जो बही।

परम्परा ये अनूठी होती है कितनी हंसी ठिठोली है।

हर इंसान अपने रंग में रंगा हो तो समझ लेना होली है।


सपनों के रंग से रंगा ये संसार सारा।

सतरंगी इंद्रधनुष लगता सबको है प्यारा।

बैंगनी रंग शान महत्त्व और राजसी प्रभाव का प्रतीक।

जामुनी रंग दृढ़ता नीला विस्तार और गहराई का स्वरुप।

हरा रंग प्रकृति शीतलता स्फूर्ति और शुद्धता लाये।

पीला रंग प्रसन्नता आनन्द से घर द्वार महकाये।

रंग नारंगी आध्यात्मिक सहन शक्ति सिखाये।

लाल रंग उत्साह साहस जीवन के खतरे से बचाये।

रंग सात ये जीवन में रंग ही रंग घोली है।

हर इंसान अपने रंग में रंगा हो तो समझ लेना होली है।



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