हमको प्यारे हमारे रस्मो रिवाज़
हमको प्यारे हमारे रस्मो रिवाज़
समृद्ध हमारी संस्कृति है और
सुन्दर है हमारा समाज,
बड़े अनोखे मेरे देश के
लोक व्यवहार और नेग रिवाज़।
जन्म से लेकर मरणोपरांत
हमसे लिपटे हैं ये संस्कार
इनकी बदौलत हम अपने
समीप पाते हैं अपना परिवार।
दूल्हा राजा खड़ा द्वार पर सासू
खड़ी आरती उतार,
दूल्हा आरती के थाल में नेग डाले
रुपया एक या हज़ार।
जीजा नंगे पाँव खड़े हैं जूता
उठाकर ले गयी साली आसानी
से नहीं मिलेगा जीजा अब
जेब कर दो खाली।
बहन खड़ी है द्वार रोक कर द्वार
रुकाई का करो दस्तूर कहें
बुजुर्ग दूल्हा दुल्हन से नेग देकर
लो आशीष भरपूर।
पुत्र रत्न जन्मा है घर में दादी खुशी में
बजाए थाली नेग थाली बजाई का दो
दादी के घर आई खुशहाली।
बुआ लाई कुर्ता टोपी घर आया
नन्हा मेहमान मान जाएं थोड़े में
बुआ जी इतना नहीं है यह आसान।
बेटी की शादी लगन लिखा ससुराल
भेजने का है रिवाज समधियों से भी
इस अवसर पर किया जाता नेग व्यवहार।
बिटिया की शादी का एक अनिवार्य
रिवाज़ है कन्यादान इस दान के बाद
कन्या की संभाल का करते आह्वान।
मानव की मृत्यु उपरांत होता है
अंतिम रिवाज़ दाह संस्कार
बेटा मुखाग्नि देकर करती अंत्येष्टि
क्रिया संस्कार।
ये हैं मुख्य रूप से हमारे लोक व्यवहार
और नेग रिवाज़। इन्हीं नेग व्यवहारों से
सुंदर बना हमारा कल और आज।
