हमारे कान्हा
हमारे कान्हा
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मन मोह लेती है हर गोपी का जिसकी बाँसुरी,
वो है गोकुल का नटखट मुरारी,
जिसके मुख में यशोदा माँ ने देखी दुनिया सारी,
माँ का लाडला वह है गिरधारी,
माखन चुराने पर जिसे डाँटती यशोदा मैया,
वही तो है सबका पालनहार कृष्ण कन्हैया,
कभी कभी होती नोक झोंक होती बलराम से,
और राधा रानी जो करती हैं बहुत प्रेम अपने श्याम से,
गोकुल में बचपन बीता बने फिर द्वारकाधीश,
जिनके सामने झुकाती है पूरी दुनिया शीश,
ऐसे हमारे कान्हा जब होता है इनका जन्मदिन,
मटकी फोड़ धूमधाम से मनाया जाता है ये दिन।