हम तब भी पढ़ते रहते हैं , पढ़त
हम तब भी पढ़ते रहते हैं , पढ़त
चाह की राह से लड़ते रहते हैं, लड़ते रहते हैं।
हम तब भी पढ़ते रहते हैं, पढ़ते रहते हैं
गमों की दस्तकों से आंखें भरते रहते हैं, भरते रहते हैं ।
हम तब भी पढ़ते रहते हैं, पढ़ते रहते हैं
गैरों के दिए हर बात पर ताने सहते रहते है , सहते रहते हैं ।
हम तब भी पढ़ते रहते हैं, पढ़ते रहते हैं
मुश्किलों के झरने चारों ओर बहते रहते हैं, बहते रहते हैं ।
हम तब भी पढ़ते रहते हैं, पढ़ते रहते हैं
उम्मीदों के ख्वाबों को मन में सजोते रहते है, सजोते रहते है।
हम फिर भी पढ़ते रहते हैं, पढ़ते रहते हैं
छोड़ दो ये पढ़ना-लिखना सब कहते रहते हैं, कहते रहते हैं ।
हम तब भी पढ़ते रहते हैं, पढ़ते रहते हैं