हिंदी
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हिंदी गौरव भारत वर्ष का
स्वागत है अभिनंदन है,
ये केवल भाषा ही नहीं है
माँ जैसी है वंदन है।
कोटि कोटि जन के
सम्प्रेषण का माध्यम जो
प्रेम भाव वात्सल्य है माँ सा
मुकुट मणि यह चंदन है।
चिंतनीय अस्तित्व पे
संकट आया है
बेटे तुझको भुला रहे माँ
हो गया कैसा बंधन है।
मैं तेरा तू मुझमे बसती
भाव संजोये हृदयो में ,
तन मन से है पूजा तेरी
फिर तेरा क्यों रुदन है।
गौरवशाली इतिहास कहे
तेरी गौरव गाथाओं को
शब्द शब्द की गहराई में
दिखता कैसा अपनापन है।
भारतवर्ष ये ऋणी रहेगा माँ
तेरे बलिदान की गाथा का
सत सत हैं शिवम माँ नमन तुम्हे
तन मन अर्पण करता हैं !