हिन्दी एक अनुष्ठान
हिन्दी एक अनुष्ठान
देवनागरी है लिपि जिसकी
विविध वर्ण,स्वर शक्ति जिसकी।
भाषाओं में श्रेष्ठ है भाषा एक
विविध भाषाओं की है शाखा एक।
है!वही हिन्दी ,हिन्द की हिन्दी
चले जो लेकर सदा माथे में बिन्दी।
अन्तरमन् के भावों में भर देती प्राण
नित प्रयोग कर सभी इसका !आओ!
करें !इसको मिलकर सभी प्रणाम।
अक्षर में अक्षर जब गुथ जाये
और भावों का जब रंग चढ़ जाये।
सहज,सरल सूचना संचरण का
सरल आधार सहज हिन्दी हो जाये।
संस्कार, संस्कृति प्रदर्शन का
हथियार है यही हिन्दी ।
समाज का दर्पण और प्यार है हिन्दी।
दिल से निकले उद्गगारों का
एक अनूठा लिखित आधार है हिंदी।
कलमकारों की कलम से निकले
शब्दों का सुर सार है हिन्दी।
हिन्द का अभिमान है हिन्दी
हिन्द का एक बड़ा सम्मान है हिन्दी।
देव भाषा संस्कृति का एक
सरलतम् रूप है हिन्दी ।
साहित्य की गरिमा,भाषा की जननी
जनक्रांतियों की गरूर है हिन्दी।
प्रेमचंद का यथार्थ वाद है हिन्दी
सुमित्रा नन्दन का छायावाद है हिन्दी
पुष्प,लता,भ्रमर-गुंजन,लम्बे घूंघर बाल
पूस की रात,बड़े घर की बेटी,बूढ़ी काकी
का एक समूचा वृतान्त है हिन्दी......
जनमानस की समझ से बोले तो
एक आसान अनूठा अनुष्ठान है हिन्दी।
