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Sabita Kumari

Others

2.0  

Sabita Kumari

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हे ईश्वर

हे ईश्वर

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है कैसी ये दुनिया तेरी,

है कैसी ये माया तेरी,

है कैसी ये कृपा तेरी।।


बिकता है तू इन बाजारों में,

मिलता है तू मंदिरों, मस्जिदों

और गिरजाघरों में,

बसता है इनके कर्मो में।।


तू क्यों पूजा जाता है इन पत्थरों में?

तू क्यों मिलता है बलि विधानों में?

तू क्यों मिलता है बस धर्मों में?।


है मेरे ईश्वर तू मिल इनके श्रद्धा

और सबूरी में,

है मेरे नाथ तू मिल इनके सत्यनिष्ठ

सद्कर्मों में,

है मेरे परमेश्वर तू मिल इनके मानव

हित धर्मों में।।



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