है नहीं ये मजबूरी उसकी
है नहीं ये मजबूरी उसकी
वो लड़की है या कागज़ की गुड़िया
जब जी चाहा तोड़ दिया फिर जब जी चाहा जोड़ लिया
गर वो साथ निभाती है तो ये है नहीं मजबूरी उसकी
गर वो कदम बढ़ाती है तो ये है नहीं मजबूरी उसकी
हर कदम उसका विश्वास है हर साथ उसके जज्बात है
हर कदम भरोसा करती है तब हर कदम साथ वो चलती है
हर अहसास को सच वो समझती है तभी खुद को
न्योछावर वो करती है
एक मासूम कली सी होती है हर चोट सहन वो करती है
फिर भी साथ वो चलती क्योंकि बहुत भरोसा करती है
हर सच को वो झुठलाती है हर झूठ को सच समझती है
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पर है नहीं ये मजबूरी उसकी बस वो बहुत भरोसा करती है
ग़लती है उसको कमजोर समझना ग़लती है उसको मजबूर समझना
सब कुछ वो समझती है हर बात को वो परखती है
फिर भी साथ वो चलती है
हर कठिनाई को सहती है पर तुमको खुश वो रखती है
हर अपने से सच वो छुपाती है पर तुमको सब कुछ बताती है
जब वो भरोसा करती है तो दिल से साथ निभाती है
बस धोखे से घबराती है बाकी सब सहन वो कर जाती है
है नहीं ये मजबूरी उसकी बस तुम पर भरोसा करती है
है नहीं ये मजबूरी उसकी बस प्यार बहुत वो करती है !!