हाथी का शावक
हाथी का शावक
हाथी का शावक, चलता माँ के साथ,
सूँड़ उठाये, मंद-मंद करता माँ से बात।
चलो माँ चले हम खुले अम्बर के नीचे,
मैं खेलूंगा, दोस्तों संग अँखिया मीचे मीचे।
खूब धमाल मंचाएँगे, झील के नीले जल में,
फेंकेंगे सूँढ़ से पानी, भींगेंगे सब पल में।
नन्हें चलना बाग में धीमे-धीमे बच- बच के,
फूलों की डालियां कहीं टूट न जाएं कुचल के।
खा लेना कहीं मिले जो बाग में पके केले,
पर बर्बादी कहीं न हो इसका शपथ तू लेले।
खूब बढ़ो, औ' खेलो, माँ करती देखभाल,
माँ हो जाये बूढ़ी, उनका रखना ख्याल।