हाँ हाँ मै राम हूं
हाँ हाँ मै राम हूं
इतने गुणवान लगते हो
योद्धा हो पर राम लगते हो।
ऋषियों की भूमि से हो
चेहरे से ऋषि का ज्ञान लगते हो।
हाँ मै उसी भूमि से हूं
जहाँ ऋषियों का वास होता हैं
यह भूमि पवित्र है
यहाँ कण कण मेे ईश्वर का वास होता है।
मै वासुकी शंकर यक्ष हूं
मै सुकेश विराट सुमाली हूं
दण्ड अनल विराट रक्ष हूं
विकट पतंजलि वज्र माली हूं!!
मै कश्यप मरीचि बाल्मीकि हूं
मै सुश्रुत चरक अंगिरा हूं
भारद्वाज विश्वामित्र वशिष्ट
मैं साधु का आघिरा हूं!!
मैं गौतम कणाद जैमिनी हूं
मै वृक्ष की छाया
मै तपोवन का मुनि हूं।
मै शिव का तांडव हूं।
मैं डमरू की आवाज हूं।
मैं त्रिशूल का तिमुख हूं।
मै कृष्ण का सुदर्शन हूं।
मैं चाणक्य की नीति हूं।
मैं भगवा का रंग हूं।
मैं संस्कृति का ठंग हूं।
हाँ हाँ मै अत्री हूं।
मैं राम का बाण हूं।
मैं वन का चीता हूं।
मैं वाल्मीकि की रामायण हूं।
मैं महाँ भारत की गीता हूं।
मै अर्जुन का नाम हूं।
मै गांडीव का वार हूं।
मै अभिमन्यु का का त्याग हूं।
मैं भीम की प्रतिज्ञा हूं।
मैं भीष्मसा रण थली हूं।
मैं हनुमान महाँ बली हूं।
मैं कर्ण का बाण हूं।
मैं दुश्मन का संघार हूं।
मैं मिहिर भोज गुर्जर प्रतिहाँ र हूं।
हाँ हाँ मै क्षत्रि हूं।
मै राम का नाम हू।
मै चारो धाम हूं।
मै प्रेम का सेतु हूं।
मै भारत की ऋतु हूं।
मै कर्ण का दान हूं।
मै भक्ति का मान हूं।
मै सूरज की किरण हूं।
मै भरत का मिलन हूं।
मै शब्दी का बाण हूं।
मै सुबह की शाम हूं।
मै दसरथ का वचन हूं।
मै राम का त्याग हूं।
मै राम के चरण हूं।
मै 14 वर्ष का वनवास हूं।
मै बाली का वध हूं।
मै बुद्ध और सुद्घ हूं।
मै रावण का संघार हूं
मै वेदों का तार हूं। l
मै धर्म की मूर्त हूं।
मै सत्य की सूरत हूं।
मैं भगवा मेे भगवान हूं।
हाँ हाँ मै राम हूं।
मैं बिंदुसार का बिंदु हूं।
मैं चाणक्य का चन्द्रगुप्त हूं।
मैं आर्यावर्त का समुंद्रगुप्त हूं।
मै शत्रुओं पर विजय हूं।
मै बजरंगबली अजई हूं।
मै अजातशत्रु विराट हूं।
मै अशोक सम्राट हूं।
मै दिवाली का दीपक हूं।
मै राणा का चेतक हूं।
मै रंगो की होली हूं।
मै बन्दूक से निकली गोली हूं।
मै संस्कृत का मेला हूं।
मै फिर भी खड़ा अकेला हूं।
मै पूजा का मंत्र हूं।
मै व्याकरण का छंद।
मै हिंदी मा का जाया हूं।
मै कुछ बात लेकर आया हूं।
मै सांची का स्तूप हूं।
मै आर्य मा का पुत हूं।
मै संकरा की हल्दीघाटी हूं।
मै चित्तौड़ की राणा माटी हूं।
मै योगी का ध्यान हूं।
मै वंदेमातरम गान हूं।
मै तिलक की महिमा हूं।
मै संस्कृत की गरिमा हूं
मै साधु की कंठी माला हूं।
मै अग्नि एक ज्वाला हूं।
मुझ को कमजोर तू समझ रहाँ है।
धोखा तू खाएगा
खाली हाँ थ आया था
खाली हाँ थ जाएगा
मै नदियों का सागर हूं।
मै छोटा सा गागर हूं।
मै प्रश्न बना एक किन्तु हूं।
मै प्राचीन भारत सिंधु हूं।
हाँ हाँ मै हिन्दू हू।
मैं गुरुकुल की धारा हूं।
नदियो का किनारा हूं।
मैं वेदों का मंत्र हूं।
मैं वीरों का यंत्र हूं।
मैं अग्नि की ज्वाला हूं।
मैं राणा का भाला हूं।
मै आर्यभट्ट की शून्य हूं।
मै भगवा बना धन्य हूं।
मै दयानंद का टंकारा हूं।
मै बहती एक धारा हूं।
मैं दयानंद की भक्ति हूं।
मैं ब्रह्मचारी की शक्ति हूं।
मैं सत्य का पास हूं।
मै सत्यार्थप्रकाश हूं।
मैं गुरुकुल का ज्ञान हू।
मैं योगी का ध्यान हूं।
मै गुरुकुल की शिक्षा हूं।
मैं गुरु की दीक्षा हूं।
मैं गीता का श्लोक हूं।
मैं अंतरिक्ष का भूलोक हूं।
मैं गुरुकुल का आचार्य हूं।
हाँ हाँ मै आर्य हूं।