Priyadarsini Das.
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मेरी गुरू मेरी माँ है,
उनका सम्मान रखना
मेरा काम है।
मेरी जीवन को सही रस्ता
दिखाने वाले मेरी गुरु है।
मैं एकलव्य नहीं हूं पर
मेरी गुरु की में
प्रिय शिष्या हूं।
उनके चरणों में मेरा प्रणाम है
उनके आशीर्वाद की कामना है।
क्या बोलूं
फिर भी तू ना ...
आंखें
प्यार है
सपना
अधूरा
दिल करता है
मासूम
तनहा
वो आखरी कॉल