STORYMIRROR

Rekha gupta

Others

3  

Rekha gupta

Others

गरीबी

गरीबी

1 min
11.7K

जीवन जीने के लिए जूझता है वो 

यूं ही बचपन से जवान हो जाता है वो 

सूरज की किरणो से ही पल जाता है वो 

अपनी मासूमियत को दो पैसे के लिए बेचता है वो 


आंखो मे चमक चेहरे पर मुस्कान रखता है वो 

बड़ा अफसर बनने का सपना देखता है वो 

लोगो का गुस्सा और दुत्कार सहता है वो 

दो जून की रोटी के लिए दर दर भटकता है वो 


 धूल मिट्टी की चादर ओढ खुले आसमान मे सोता है वो

सुबह सवेरे अलसाई अलसाई आंखो से

भूखा अधनंगा पीठ पर बोरा उठा कर 

कूड़े के ढेर मे रोटी तलाश करता है वो


नन्हे कोमल हाथो से बर्तन चमकाता है वो

कारखानों मे भारी बोझ उठाता है वो

बड़े साहब लोगो के जूते साफ करता है वो

बचपन क्या होता है ये नही समझता है वो


खेल खिलौनों से क्या खेलेगा वो 

दूसरो के हाथ का खिलौना बनता है वो

एकता मे अनेकता वाले स्वतंत्र भारत मे 

 अमीर गरीब का भेदभाव झेल रहा है वो


उन मासूमों पर भी तो एक नजर डालो 

स्वर्णिम भारत का अनमोल भविष्य है वो।

 


       

         



Rate this content
Log in