गरीबी
गरीबी
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भूख जब- जब उसके होंठ, सुखा गई।
कितना बेगैरत है अब,आदमी बता गई।
आँख के आँसू तब, न समझ आ सके
जब जब ग़रीबी किसी की सजा हुई।
कुछ रात भर ठिठुरते रहे आकाश में
कुछ के कमरे खाली होना कज़ा हुई ।
दिन तो कट गया ताबेदारियों में अमीरी
गरीब की रात बीतना उसकी रजा हुई।
'सुओम' दर्द, फाँके क्यूँ गरीब के घर में।
उससे सुनो प्रभू, ऐसी क्या बजहा हुई।