गणतंत्र हैं हम
गणतंत्र हैं हम
गणतंत्र का जश्न भी
और आजादी की चाह भी
हमारी आत्मनिष्ठा ही
हमें आजादी का
सन्देश दे रही है
हमें मनुष्यता से जोड़ रही है,
मनुष्य से प्रेम की
जरूरत रेखांकित कर रही है।
आज जब हम आजादी का
जश्न मना रहे हैं
एक दूसरे को
बधाइयां दे रहे हैं
तो हमें आजादी का
इतिहास याद आ रहा है,
चलचित्र से उभर रहे हैं
जीवन के आसपास
गुलामी के सम्मोहन
और आत्मनिष्ठा का
दामन पकड़े
आजादी की चाह लिये
आजादी की तरफ बढ़ रहे हैं।
कोई अवरोध नहीं है
हमारे रास्ते में
हमारे सिवाय
चलती हुई अनगिनत
कहानियों के बीच
तरक्की के नारों की
अनुगूंज में
हमारी आत्मनिष्ठा
घुल रही है।
वैचारिक प्रदूषण
का संदूषण
हवा में उड़ता हुआ
हमसे दूर जा रहा है
और हम आजादी के
जश्न में मशगूल हैं।
यकीनन हमें अपनी
याद आ रही है
और हम आप को
गणतंत्र की शुभकामनाएँ
प्रेषित कर रहे हैं।