"*गणतंत्र दिवस मना रे बंधु *"
"*गणतंत्र दिवस मना रे बंधु *"
भारत का है संविधान निराला, हम लोगों की शान है,
आज़ादी का पर्व हो तुम, और गणतंत्र की जान है।
अबला नारी बैठी शिखर पर, बाबा साहेब की देन है,
शोषित को दे दिए अधिकार, ये संविधान का ध्येय है।
हिन्दू, मुस्लिम सिख ईसाई, सबको भारतीय बनाया है,
सबसे पहले"हम भारत के लोग", पाठ एकता का सिखलाया है।
सम्पूर्ण, प्रभुत्व, सम्पन्न, समाजवाद का, अखंड भारत बतलाया है,
12 सूची और 22 भागों में देश को, विश्व विख्यात बनाया है।
मूल अधिकार दिए जनता को, रंक से राजा बनाया है,
न्याय, स्वतंत्रता, समता, बंधुता, पाठ हमको सिखलाया है।
कर्तव्य राष्ट्र निर्माण के , खुदगर्ज लोगों ने भुलाया है,
प्रतिलिपि जलाई कुछ अराजकों ने, इंसानियत को ठुकराया है।
फुर्सत नहीं मीडिया जन सेवक को, अपने पोस्टर लगाने में,
महत्ता भुला रहे हैं इस गर्व दिवस की, अपने खुद के गुणगान में।
तुम रक्षक हो कोटि लोगों के, तुम पर हमें अभिमान है,
अटल, अमिट, अडिग हो तुम, विश्व पटल पर मान है।
भारत का है संविधान निराला, सुशासन की शान है,
गणतंत्र दिवस मना रे बंधु, लोकतंत्र की जान है।
