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मिली साहा

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4.4  

मिली साहा

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गणपति महिमा

गणपति महिमा

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गणेश चतुर्दशी का पावन त्यौहार

आज गणपति आए हैं हमारे द्वार!

गणपति हम सबको बड़े प्यारे हैं

शिव -पार्वती के वो राजदुलारे हैं!

मूषक गणपति की प्रिय सवारी है

महिमा उनकी इस जग में न्यारी है!

भोली और प्यारी उनकी सूरत है

सबके मन में बसी उनकी मूरत है!

रूप गणपति का बड़ा निराला है

हर मुश्किल में सदा हमें संभाला है!

सर्वप्रथम पूजनीय वो देव हमारे हैं

गणपति ने हमारे हर काज संवारे हैं!

हर शुभ कार्य में पूजा उनकी होती है

गणपति पूजन से हर बाधा दूर होती है!

मोदक लड्डू का हम भोग लगाते हैं

गणपति बड़े ही चाव से सब खाते हैं!

रिद्धि -सिद्धि के स्वामी उनके दाता हैं

वैभव उनसे आता वो भाग्य विधाता हैं!

दीन दुखियों के गणपति दुखहर्ता हैं

इसीलिए तो वो कहलाते विघ्नहर्ता हैं!

माता पिता के चरणों में चारो धाम है

संसार को दिया गणपति ने यह ज्ञान है!

माता पार्वती को दिया वचन निभाया है

आज्ञा पालन हेतु अपना शीश कटाया है!

गणपति गजानंद लंबोदर इनके नाम हैं

श्री गणेश को हमारा बारंबार प्रणाम है!


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