गणेश चतुर्थी
गणेश चतुर्थी
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भाद्रपद शुक्ल चौथी तिथि है
गौरा गोद विराजे गणपति हैं।
खुशियां छा गई देव लोक में
प्रथम पूज्य की जन्म घड़ी है।
स्वागत हेतु आतुर संसार
मंडप छाए गजब बहार।
सजा मंडप नाना आचार
'बप्पा' आओ है इंतजार।
ढोल, नगाड़े, ताशे बाजे
मूषक संग तू मंडप विराजे।
पान, फूल, मेवा से सेवा
लड्डून, मोदक भोग है देवा।
झांझ, मंजीरा, मृदंग लाते
कीर्तन तेरे साज सजाते।
'बप्पा मोरिया' सब मिल गाते
दर पर तेरे शीश झुकाते।
सदा चतुर्थी संकटनाशन
विघ्नहरण तू है चिंता हरण।
तेरी कृपा का ही सहारा
आओ बप्पा फिर है पुकारा।
