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Ruchi Madan

Others

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Ruchi Madan

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ग़म बस तू ही है मेरा

ग़म बस तू ही है मेरा

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ग़म ने मेरा साथ बहुत निभाया है

हर उम्मीद को मेरी तोड़ा पर

फिर भी साथ उसको ही मैंने पाया है

हँसी को मेरी लग जाये ना दुनिया

की नज़र

इस लिये आँसुओं में मुझ को

डुबोये रहता है


ख़ुशियों के नखरे है बहुत यारों

वफ़ा की उम्मीद करना बेकार है

कब चली जाये ये रूठ के

दोबारा इनका मिलना भी

बड़ा दुश्वार है

ग़म ने साथ हर हाल में निभाना है


कभी ना छोड़ के मुझ को इसने

जाना है

क्यूँ ना बेपनाह मुहब्बत मैं भी

कर लूँ इसको

जब जीवन भर साथ हमने चलना है

बेवफ़ा भी नहीं ये ना ही मगरूर है

चाहता नहीं मैं इसको फिर भी

इसको मेरा सुरूर है हर हाल में ये

साथ मेरे रहता है और कितना

चाहता मुझे है

इतना कोसता हूँ इसको फिर भी

ना कहीं ये जाता है



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