गलियाँ
गलियाँ
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हे बदली
बदली छाया
पता नहीं
क्या?
तेरे शहर की
ये गलियाँ भी
तेरी आशिक
हैं !
मैं जब भी तुझे
ढूँढने निकलू जाने
कहाँ मुड़ जाती
हैं !