।।गीत मल्हार।।
।।गीत मल्हार।।
कारे कारे बदरा,देखो सखी आए।
बरखा के संग ठंडी पवन ले आए।
बिजली चमकती बदरा गर्जत।
देख अंधेरी मोरा जीयरा धड़कत।
झींगुर जी कैसी झंकार सुनाए।
कारे कारे बदरा,देखो सखी आए।
नीबिया की डरिया में पड़ रहो झूला।
चंचल मन मेरा फिरे फूला फूला ।
कैसे सखी मन अपना समझाएं।
कारे कारे बदरा,देखो सखी आए।
जब से गए हैं सजन परदेसिया।
लिन्ही न मेरी कबहुॅ॑ सुरतिया ।
सावन का कौन मुझे झूला झुलाय।
कारे कारे बदरा,देखो सखी आए।.
डरिया में कोयल काली गाए।
दादुर भी अपनी तान सुनाए।
ठंडी ठंडी बरखा मुझे तड़पाए।
कारे कारे बदरा,देखो सखी आए।..
रंग बिरंगे परिधान पहिने सखियाॅ॑।
झूल रहीं झूला मनाए रहीं खुशियाॅ॑।
सजन बिन जियरा मोरा घबराए।
कारे कारे बदरा,देखो सखी आए।..