ग़ज़ल
ग़ज़ल
1 min
180
मौसमे गुल बनकर वह गुलशन पे जिस दम छाएगा।
हर कली मुसकायेगी हर फूल खिलता जाएगा।।
खींच ली तस्वीर जिस की दीदा-ओ- दिल ने मेरे।
क्या यह मुमकिन है कि वह मुझसे जुदा हो जाएगा।।
मंज़िलें मकसूद तक हम सब को पहुंचाने के बाद।
क्या खबर थी नाखुदा मिस्ले ख़ुदा हो जाएगा।।
नक्शे पा आवाज़ देते हैं उभर कर राह में।
आ चला आ तू मुझी पे चल के मंज़िल पाएगा।।
यह जुदाई के नहीं हैं दिन है नादाँ इम्तहां।
इन दिनों में तेरा मेरा प्यार परखा जाएगा।।
यूं तो कहने को वह पर्दा करके बेकल कर गए।
पर तसव्वुर से मेरे बच कर कहां वो जाएगा।।